भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लड़ाई / बाल गंगाधर 'बागी'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तूफानों का काफिला हम झुकाते ही रहेंगे
हम चिरागे मोहब्बत जलाते ही रहेंगे
जो लोग अपने हुए दुश्मनों की तरह
उन्हें मोहब्बत का सरगम सुनाते ही रहेंगे