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लड़ाकर बस लड़ाई देखता है / राम नाथ बेख़बर
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लड़ाकर बस लड़ाई देखता है
बुरा केवल बुराई देखता है।
ग़ज़ब ये दौर आया है जगत में
नहीं भाई को भाई देखता है।
बड़ी लाचारगी से एक बूढ़ा
फ़टी अपनी रजाई देखता है।
कभी बुनियाद तक नज़रें तो फेरो
हमेशा क्यूँ ऊँचाई देखता है।
है कितना गोश्त बकरे के बदन में
यही दिल से कसाई देखता है।
दिखा है बेख़बर को दिल तुम्हारा
नहीं तेरी रुखाई देखता है।