भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लन्दन डायरी-13 / नीलाभ

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमारा रिश्ता वह सड़क है

जिसका नक्शे में कोई निशान नहीं

हमारा प्यार वह मैदान है

जहाँ से कोई रास्ता नहीं फूटता

हमारे एहसास चुभते हैं हमें

कीलों की तरह

हम कौन हैं ? मशीनी इन्सान

या बीसवीं सदी के आख़िरी दशक के लोग ?