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लब-तिश्नगाने-जामे-तसलीम हम हैं साक़ी / सौदा

लब-तिश्नगाने-जामे-तसलीम हम हैं साक़ी
या बादा या हलाहल, जो हो सो वाह-वा है
समझे अगर तू इतना, ये ज़िन्दगी मरज़ है
हो दर्द जिस तरह का, फिर वो तुझे दवा है