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लमह-ए-रुख़सत / मख़दूम मोहिउद्दीन

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लमह-ए-रुख़सत<ref>विदाई का क्षण</ref>

कुछ सुनने की ख़्वाहिश कानों की, कुछ कहने का अरमाँ आँखों में,
गरदन में हमायल<ref>गलबाँही</ref> होने की बेताब तमन्ना बाँहों में।
मुश्ताक़<ref>उत्कंठित</ref> निगाहों की ज़द<ref>हद, सीमा</ref> से नज़रों का हया<ref>लज्जा</ref> से झुक जाना
इक शोक-ए हमआग़ोशी<ref>आलिंगन</ref> पिन्हा<ref>छिपा हुआ</ref> उन नीची भीगी पलकों में ।
शाने<ref>कंधे</ref> पे परेशाँ होने को बेचैन सियह काकुल<ref>काले केश</ref> की घटा
पेशानी में तूफ़ाँ सजदों का, लबबोसी<ref>चुम्बन</ref> की ख़्वाहिश होंटों में ।
वारफ़्ता<ref>बेसुध</ref> निगाहों से पैदा है एक अदाए जुलेखाई<ref>जुलेखा जैसी अदा (जुलेखा-- मिस्र के राजा अज़ीज़ की स्त्री जो हज़रत युसूफ़ पर मुग्ध हो गई थी)</ref>
अन्दाज़-ए-तग़ाफ़ुल<ref>लापरवाही के भाव</ref> तेवर से रुसवाई<ref>बदनामी</ref> का सामाँ आँखों में ।
फुरक़त<ref>वियोग</ref> की भयानक रातों का रंगीन तसव्वुर<ref>कल्पना</ref> में आना
इफ़शा-ए-हक़ीक़त<ref>सच्चाई का प्रकट होना</ref> के डर से हँस देने की कोशिश होंटों में ।
आँसू का ढलक कर रह जाना खूंगश्ता दिलों की नज़राना
तकमीले<ref>सम्पूर्णतः</ref> वफ़ा का अफ़साना कह जाना आँखों आँखों में ।

शब्दार्थ
<references/>