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लम्बे हाथ / सुमति बूधन
Kavita Kosh से
इन हाथों को सहला दो,
ये हाथ थक चुके हैं।
इन हाथों को थाम लो,
ये हाथ गिर चुके हैं ।
इन हाथों को खोल दो,
ये हाथ बँध चुके हैं ।
ये हाथ राम की मर्यादा है ।
ये हाथ कृष्ण का कर्मयोग है ।
ये हाथ धरती के हैं ।
ये हाथ सूरज के हैं ।
ये हाथ मेरे हैं,
ये हाथ तेरे हैं,
ये हाथ हमारे हैं,
ये हाथ हज़ार हाथों से लम्बे हैं....लम्बे हैं।