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लरिक‍उनू ए० मे० पास कीहिनि / पढ़ीस

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सबि पट्टी बिकी असट्टयि मा,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि।
पुरिखन का पानी खुबयि मिला,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥

अल्ला - बल्ला सब बेचि - खोंचि,
दुइ सउ का मनिया-अडरू किहिनि।
उहु उड़िगा चाहयि पानी मा,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥

हम मरति-खपति द्याखयि दउर्यन,
दयि मिन्त्र मण्डली मा नाययिं।
दीदा - दरसनऊ न कयि पायन,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥

महतारी बिलखयि द्याखयि का,
बिल्लायि म्यहरिया ब्वालयि का।
उरि परे कलपु-घर पाले मा,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥

कालरू, नकटाई, सूटु, हैटु,
बंगला पर पहुँचे सजे - बजे।
नउकरी न पायिनि पाँउच की,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥

अरजी लिक्खिनि अँगरेजी मा
घातयिं<ref>तरकीबें, जुगत</ref> पूंछयि चपरासिन ते।
धिरकालु ‘‘पढ़ीस’’ पढ़ीसी का,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥

शब्दार्थ
<references/>