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लहरों की बात / नंदकिशोर आचार्य
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केवल आँख में ही नहीं होता जल
स्वर-ताल भी देखो
कैसे जल-तरंग-सी
लहरिया जाती है आधी रात
सुखा कर लहरों की चादर को
फैला देती बहती हवा
सवेरे दिखता है
फिर वही रेगिस्तान
संजोए छाती में
अपनी लहरों की बात।