भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लहौ सुख सब विधि भारतवासी / भारतेंदु हरिश्चंद्र
Kavita Kosh से
लहौ सुख सब विधि भारतवासी।
विद्या कला जगत की सीखो, तजि आलस की फाँसी।
अपने देश, धरम, कुल समझो, छोड वृत्ति निज दासी।
पंचपीर की भगति छोडि, होवहु हरिचरन उपासी।
जग के और नरन सम होऊ, येऊ होय सबै गुन रासी।