लाख बरस तक माणस जीया टोटे के मांह मरें गया / मांगेराम
लाख बरस तक माणस जीया टोटे के मांह मरें गया
के जीणें में जीया साजन धक्के खाता फिरें गया
टोटे के मांह देह कै ओर उचाटी होज्या सै
टोटे के मांह माणस का जी सौ-सौ घाटी होज्या सै
टोटे के मांह सगे प्यार की तबियत खाटी होज्या सै
टोटे के मांह सब कुणबे की रे रे माटी होज्या सै
इस तै आच्छा डूब कै मरज्या दिन भर मेहनत करें गया
टोटे आळे माणस की कोय आबरो करता ना
जित बैठै ऊड़ै गाळ बकैं यू साळा किते मरता ना
टोटे के मांह माणस तै दखे कोय आदमी डरता ना
धन का टोटा भरज्या सै माणस का टोटा भरता ना
इस तै आच्छा डूब कै मरज्या नीच जात तै डरें गया
‘मांगेराम’ कड़े तक रोऊं, इस टोटे का ओड़ नहीं
हीरे पन्ने मोहर अशर्फी किस माणस नै लोड़ नहीं
मींह बरसै जब घर टपकै फेर चीज धरण नै ठोड़ नहीं
कातक लगते सोच खड़ी हो ओढ़ण खातर सौड़ नहीं
शी शी शी शी करै बिचारा जाड़े के मांह ठिरें गया