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लाख मुश्किल हो मगर राह पर चलते जायें / रंजना वर्मा

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लाख मुश्किल हो मगर राह पर चलते जायें।
कष्ट अब जो भी मिले प्रेम से सहते जायें॥

हौसले धैर्य के हर पुल को उड़ा दे आँधी
ठोकरें खा के गिरें गिर के सँभलते जायें॥

भागते वक्त के अब साथ ही चलना होगा
थम ही जायेंगें अगर पाँव ठिठकते जायें॥

है नदी तेज बड़ी धार भँवर भी लाखों
रुक न पायें जो कहीं धार में बहते जायें॥

काफ़िला साथ रहे या कि रहे तनहाई
मन की हर पीर सदा मन से ही' कहते जायें॥

जब कठिन आये' समय साथ न छोड़े बाधा
शक्ति मन की लें'जगा कष्ट में' पलते जायें॥

थाम लें हाथ वही जो न किसी पल छूटे
सोच क्यों हो कि अगर लोग बिछड़ते जायें॥