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लागत समीर लँक लहकै समूल अँग / देव
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लागत समीर लँक लहकै समूल अँग ,
फूल से दुकूलनि सुगँध बिथुरयो परै ।
इन्दु सो बदन मँद हास सुधा बिँदु ,
अरबिँदु ज्योँ मुदित मकरँदनि मुरयो परै ।
ललित ललार श्रम झलक अलक भार ,
मग मे धरत पगु जावक घुरयो परै ।
देव मनि नूपुर पदुम पद दूपुर ह्वै ,
भू पर अनूप रँग रूप निचुरयो परै ।
देव का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।