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लाजो ना लागे स्याम गइलऽ मधुबनवाँ से / महेन्द्र मिश्र

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लाजो ना लागे स्याम गइलऽ मधुबनवाँ से
काहे के पिरीतिया लगवलऽ हो स्याम।
हमनी के छोड़ी स्याम कूबड़ी पर देलऽ परान
से काहे के सवतिया बनवल हो स्याम।
ऊधो बाबा दे के पाँती कऽ गइलें घवाहिल छाती
से अबला अनारी के भुलवलऽ हो स्याम।
अबकी जे अइहन ऊधो बतिया पूछब हम दूगो
से काहे हमरो मतिया भोरवलऽ हो स्याम।
कहत महेन्दर हरी श्याम भइले निरमोहिया
से नेहिया लगाइ दगा कइले हो लाल।