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लाज लागै / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
Kavita Kosh से
भोर होलै उठो नींद तोड़ो पिया
लाज लागै अबें हाथ छोड़ो पिया
शोर चिड़िया करै, देखि कौवा जरै
फूल आपन्है तुवै, मोन हमरो डरै,
बात हमरो सुनोॅ गोड़ मोड़ो पिया
लाज लागै अबें हाथ छोड़ो पिया।
बाल उलझै कनां कुछ पता नै चलै
कान बाली फसै नाक नथिया खलै
प्राण हमरो अबे, प्राण तोरो पिया
लाज लागै अबें हाथ छोड़ो पिया।
छोडि ऐलाँ सब्भे नैहरा के सखी
माय बाबू बहिन याद सबके रखी
मीत हमरो बनी प्रीत जोड़ो पिया
लाज लागै अबें हाथ छोड़ो पिया।