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लाट्टू मेरा बाजणा, बजार तोड़ी जाइयो जी। / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
लाट्टू मेरा बाजणा, बजार तोड़ी जाइयो जी।
मां मेरी ने भेजी कोथली, मेरा मां जाया आइयो जी।
उठ उठ बेबे तावली, तेरा बीर खड़ा दरबार जी।
कयूंकर उठूं कयूंकर बैठूं, बिछवां की चमकार जी।
बिछवां ऊपर हरा नगीणा, चुन्दड़ी छापेदार जी।
अगड़ पड़ोसन बूझण लागी, के के चीजां ल्यायो जी।
भरी पिटारी मोतियां की, जोड़े सोलां ल्यायो जी।
लाट्टू मेरा बाजणा, बजार तोड़ी जाइयो जी।