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लाड़ले ये लाल / मुकुटधर पांडेय
Kavita Kosh से
कौन मानव हृदय के हैं मूर्तिमंत दुलार
राष्ट्र के निज देश के हैं कौन मूलाधार
जाति और समाज के हैं कौन गुण-गण-पोत
कौन संस्कृति सभ्यता की सुरसरि के स्रोत
स्कन्ध पर किनके हमारे गौरवों का भार
भव्य भावों के छिपे वे कौन हैं भण्डार
कौन हैं घर द्वार के परिवार के शृंगार
हेम हीरक से अधिक हैं कौन हिय के हार
कोन विद्या और वैभव के अतुल अवलम्ब
निहित है किनके करों में निखिल कला कदम्ब
अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित, लिए खंग कृपाण
कौन कल प्रहरी बनेंगे देश के बलवान
ये हमारे शिशु, हमारे ये लाल
भरत सम गुण रूप बल वाले हमारे बाल
जो सुनहले पंख वाले स्वप्न हैं साकार
विश्व मानव के मुकुट मणि मंजु महिमागार
किसलयों से भी सुकोमल, फूल से सुकुमार
धवल शशि से, जलद से जो सरस नवल विचार।