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लाड करण लगी मात, पूत की कौळी भरकै / बाजे भगत
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लाड करण लगी मात, पूत की कौळी भरकै
हुई आजादा शोक और भय से, गात म्हं खुशी हो गई ऐसे
जैसे, धन निधरन के लग्या हाथ, खुश हुए न्यौळी भरकै
आज वे परसन्न होगे हरि, आत्मा ठण्डी हुई मेरी
कद तेरी, चढ़ती देखूंगी बारात, बहू आवै रोळी भरकै
तेरे बिन अधम बीच लटकूं थी, नाग जैसे मणि बिन सिर पटकूं थी
पूत बिन भटकूं थी, दिन रात, आया सुख झोळी भरकै
बाजे राम चरण सिर डारै, भवानी सबके कारज सारै
मारै, नुगरयां कै गात, ज्ञान की गोळी भरकै