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लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ / निमाड़ी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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लाद चल्यो बंजारो अखीर कऽ
(१) बिना रे भाप का बर्तन घड़ीयाँ,
बिन पैसा दे रे कसोरा
मुद्दत पड़े जब पछा लेगा
घड़त नी हारयो कसारो...
अखीर कऽ...
(२) भात-भात की छीट बुलाई,
रंग दियो न्यारो-न्यारो
इना रे रंग की करो तुम वर्णा
रंगत नी हारयो रंगारो...
अखीर कऽ...
(३) राम नाम की मड़ीया बणाई,
वहा भी रयो बंजारो
रान नाम को भजन कियो रे
वही राम को प्यारो...
अखीर कऽ...
(४) कहेत कबीरा सुणो भाई साधु,
एक पंथ नीरबाणी
इना हो पंथ की करो हो खोजना
जग सी है वो न्यारो...
अखीर कऽ....