लापता लोग / शंकरानंद

लापता लोग अब लापता हैं
कितने बेबस हैं कितने लाचार
वे किस ग़लती की सज़ा भुगत रहे हैं कि
अपने हिस्से का जीवन भी उन्हें नसीब नहीं

लापता लोगों की रिपोर्ट थाने में दर्ज होकर सड़ जाती है
आखिर ऐसा क्यों होता है कि
उनका शव भी बरामद नहीं होता

आज तक जितने लोग लापता हुए
अगर सबको मिला दिया जाए तो
उनसे एक देश बन सकता है -- ऐसा कहते हैं आँकड़े

इतनी बड़ी आबादी का लापता होना पता नहीं चलता
उनका कोई सबूत नहीं कोई गवाह नहीं

वे सब सिर्फ़ एक नागरिक नहीं थे
किसी की माँ, किसी का पिता, किसी के बच्चे, किसी की बहन
किसी के भाई थे वे और वे लापता हो गए

इस तरह कि अब कभी उनकी वापसी नहीं होगी
वे अब मृतक हैं पर
मृतकों की सूची से बाहर ।

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