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लाम्बी लाम्बी गर्दन जणै मोर की बहु / मेहर सिंह

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जब सत्यवान सावित्री को अपने धर ले जाता है तो सावित्री की सास क्या कहती है-

लाईयो हे बैठाइयो बड़े जोर की बहु
लाम्बी लाम्बी गर्दन जणैं मोर की बहु।टेक

उरे सी नै हो मिलाई सास की
तेरे सुसरे का दुशाला दुलाई सास की
बहू पां दाबै सासू हो भलाई सास की
हाथ फूल और आरसी घलाई सास की
तेरा सुसरा बाट देखै सै हे दोहर की बहू।

ख्याल करणा चाहिए सै माणस परखणीयां का
तेरी खात्यार पीढ़ा घाल दिया जड़े कणी मणीयां का
घर-घर कै म्हां दे लगटेरे बामण बणियां का
शोभा हो नगर की हो सै धन धणियां का
ऋषि आश्रम में सुथरी आगी बौर की बहू।

अपणी सासू प्यारी सै तूं सलाह कर ले
पाणी केसा बुलबुला तूं भला कर ले
देख ली भतेरी टुक पल्ला कर ले
मद जोबन का कबूतर बण कै कला कर ले
कदे लाग ज्या नजरियां माणस ओर की बहू।

तेरी मेहरसिंह कै रसोई कई प्रकार के खाणे
थाळी थाळ परोस कै मनै घर-घर पहुंचाणे
तेरी रूप की करै सराहना सब याणे स्याणे
धोळे धोळे चमकै दांत जणुं अनार के दाणे
लागरी मेवा के सी ढेरी जणै पिशोर की बहू