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लाली तोरो अँखिया हे बाबू, लामी तोरो केस / अंगिका लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
लाली तोरो अँखिया हे बाबू, लामी तोरो केस।
कौना लोभे ऐल्हे हे बाबू, देसबा बिदेस॥1॥
हमरा देसबा हे सासू, गोरी हे बहूत।
साँवरे लोभे ऐलाँ हे सासू, देसबा बिदेस॥2॥
हमें तोहें पुछिहौं<ref>पूछती हूँ</ref> हे बाबू, हिरिदा लगाय।
कैसे कैसे रखबा हे बाबू, दुइ<ref>दो की संख्या</ref> टा बहुआ॥3॥
गोरी तऽ राखबै हे सासू, मथबा चढ़ाय।
साँवरी तोरि राखबै<ref>रखूँगा</ref> हे सासू, हिरिदा लगाय॥4॥
मथवा चन्नन हे सासू, झरि झुरि जाय।
हिरिदा चन्नन हे सासू, जनक रहि जाय॥5॥
केइ<ref>कौन</ref> लेल अबटन, केइ लेल हे तेल।
केइ लेल कँघइ<ref>कंघी</ref> झारिय लामी हे केस॥6॥
सासु लेली अबटन, सहरज लेली हे तेल।
सारी लेली कँघइ, झारै हे लामी केस॥7॥
शब्दार्थ
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