भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लाल-लाल ओढ़नी माय सोना रा तार / मालवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लाल-लाल ओढ़नी माय सोना रा तार
लाल बजावे बांसरी, नौ दुर्गा खेले छन्द
छन्दगाली रा नेवर बाजण्या रे माय
पावाँ में बिछिया सोवे ताप माय
थारा अनबट से लागी रयो बाद
नखराली रा नेवर बाजण्या ऐ माय
थारी नोगरी से लागी रयो बाद
छन्दगाली रा नेवर बाजण्या ऐ माय
थारे वैयां ने बाजूबन्द सोवत ऐ माय
थारा भुजबन्द से लागी रयो बाद
नखराली रा नेवर बाजण्या हो माय
थारा गला में गलूबन्द सोवत ए माय
थारी माला से लागी रयो बाद
छन्दगाली रा नेवर बाजण्या हो माया
थारा काना में झुमका सोवता ए माय
थारा काँटा से लागी रयो बाद
थारा मुखड़ा ने बेसर सोवता ए माय
थारा टीका से लागी रयो बाद
थारा अँगन सालू सोवता ए माय
थारी ओढ़नी से लागी रयो बाद
छन्दगाली रा नेवर बाजण्या हो माय