भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लाल-लाल टेसू, फूलि रहे हैं बिसाल संग / सेनापति

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लाल-लाल टेसू, फूलि रहे हैं बिसाल संग,
स्याम रंग भेंटि मानौं मसि मैं मिलाए हैं।
तहाँ मधु काज, आइ बैठे मधुकर-पुंज,
मलय पवन, उपबन-बन धाए हैं॥
'सेनापति माधव महीना मैं पलास तरु,
देखि-देखि भाउ, कबिता के मन आए हैं।
आधे अनसुलगि, सुलगि रहे आधे, मानौ,
बिरही दहन काम क्वैला परचाए हैं।