लिकड़ चले थे जहान म्ह सब मालक टुकड़ा देगा / मेहर सिंह
वार्ता- सज्जनों राजा अम्ब अमृतसर राज को छोड़कर अपनी रानी अम्बली और पुत्रों सरवर-नीर के साथ चल पड़ते हैं। वे अपने अन्तर्मन में क्या विचार करते हैं सुनिए इस रागनी में-
लिकड़ चले थे जहान म्हं सब मालक टुकड़ा देगा।टेक
जिन की रहती नीत ठिकाणै सब बातां के होज्यां ठाठ
धर्म कर्म पै अड़्या रहै तै कोन्या रह किसै तै घाट
आपस कै म्हां रह् एकता घर कुणबे मैं ना हो पाट
जिनकै ना हो फर्क ईमान म्हं भुला सारा ऐ दुखड़ा देगा।
उस ईश्वर की अद्भूत माया एक पल मैं करै निहाल
डुबते का वही सहारा देता मार रहम की झाल
धनपत को कंगाल बणा दे निर्धन नै करै माला माल
सौदा भर्या दुकान म्हं भर धन का छकड़ा देगा।
घर आए की सेवा करणी मीठी मीठी बोले बाणी
हाजर खिदमतदार रहै हंस हंस चाहिए टहल बजाणी
घालण जा जब आधीनी से गलती चाहिए माफ कराणी
अमृत भरया रहै जबान म्हं कर दिल को तगड़ा देगा।
जीव हिंसा से डरणा चाहिए सबतै राखो ठीक व्यवहार
नेम धर्म पै अटल रहै तो ईश्वर करदे बेड़ा पार
एक दिन मौत निमाणी आवै कर दे सब तरियां लाचार
मेहर सिंह मृत्यु के मैदान म्हं तेरे जीव को पकड़ा देगा।