लिक्खा मैंने भोगा सच

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रचनाकार | अमर पंकज |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- मुश्किल था पूरा सच लिखना तो आधा हर बार लिखा / अमर पंकज
- अब है मुझको दूर जाना, प्यार से रुख़सत करो / अमर पंकज
- तेरे नाम सजी है महफ़िल आज कई चौबारों में / अमर पंकज
- आज हूँ ख़ुद से ख़फ़ा मैं इसलिए हूँ दूर तुमसे / अमर पंकज
- क्या हुआ क्या बताता रहा उम्र भर / अमर पंकज
- भुला कर अदावत क़दम-दर-क़दम / अमर पंकज
- मुहब्बत की क़ीमत चुकानी पड़ेगी / अमर पंकज
- झूठ हर्षित हो रहा है आज के इस दौर में / अमर पंकज
- ज़िन्दगी कैसी रही है वक़्त ही बतलाएगा / अमर पंकज
- ख़्वाब है या है हक़ीक़त दिल ने भरमाया है क्या / अमर पंकज