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लिखने वालों को मेरा सलाम / विजेन्द्र अनिल
Kavita Kosh से
लिखने वालों को मेरा सलाम
पढ़ने वालों को मेरा सलाम
क्रान्ति की राह में जो मरे
उन शहीदों को मेरा सलाम
आँख में जिनकी चिंगारियाँ
उन जवानों को मेरा सलाम
रात दिन जो जलाते लहू
उन किसानों को मेरा सलाम
मुक्ति का युद्ध जो लड़ रहे
उन मजूरों को मेरा सलाम
आग की पोथियाँ जो पढ़े
उन मकानों को मेरा सलाम
देश ख़ातिर जो बेटा मरे
उनकी माता को मेरा सलाम
आबरू के लिए जो लड़े
उस बहन को मेरा सलाम
झोपड़ी में जो दीपक जले
उसकी बाती को मेरा सलाम
गाँव जिसकी हवा में पला
उसकी माटी को मेरा सलाम