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लिखब मे प्रभु जी के पतिया हे ऊधो / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लिखब मे प्रभु जी के पतिया हे ऊधो
अपनो ने आए पतियो ने भेजे
ना भेजे कुशल उदेशिया हे ऊधो
ओतहि रहत यशोदा जी के नन्दन
कुबजी हरल गति मतिया हे ऊधो
कोना हम रहब हरिजी के छोड़ब
ना रहब गोकुल अकेलिया हे ऊधो
लिखब मे प्रभु जी के पतिया हे ऊधो
बरिसन चाहे बदरबा हे ऊधो
खन बरिसय खन गरजय
खन-खन बहय बयरबा हे ऊधो
झिंगुर दादुर शोर करय
विरह दग्ध भेल छतिया हे ऊधो
चारि मास हम आस लगाओल
घर नहि आय पियरबा हे ऊधो
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस के
घुरि फीरि करत निहोरबा हे ऊधो