लिपि / शिवकुटी लाल वर्मा
संकेतों की लिपि अत्यन्त जटिल होती है
अब मैं आपको कैसे समझाऊँ
कि हँसी के संकेत समझने की प्रक्रिया में आप रो पड़ेंगे
दर्द की व्याख्या होते ही दर्द काफ़ूर हो जाएगा
और आपके सिर्फ़ दर्द की महक रह जाएगी
महक आपको हँसा भी सकती है
पर वह हँसी एक अजीबोग़रीब हँसी होगी
सकेतों की लिपि में वह कैसे पैठ पाएगी ?
उसे वहाँ फिर से प्रवेश दिलाने के लिए
आपको पक्षियों की शरण में जाना पड़ेगा
पर पक्षियों की शरण में जाने वालों में लगभग सभी का
शालीय भाषा में एक उथला अनुवाद हो कर रह गया
तब आप भी अनुवाद से कैसे बच पाएँगे ?
और यदि मान लिया जाय कि आप
यह ख़तरा उठाने को तैयार हैं
तो भी क्या आप उत्सुक भ्रान्तियों द्वारा अपने आप को
केवल एक ऐतिहासिक महत्व की पाण्डुलिपि
समझा जाना गँवारा करेंगे ?
जबकि आप पक्षियों के बीच में
एक निष्कासित हँसी के लिए
एक सूक्ष्म पर जीवन्त लिपि रच रहे होंगे ।