भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लिहारी लिहारी पगिया / अंगिका लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लिहारी<ref>निहार कर; देखकर</ref> लिहारी पगिया, बान्हें हो रामू रैया<ref>राय; उपाधि-विशेष; राजा</ref>।
देखो रे कोई लजर<ref>नजर; नजर लगना; बुरी दृष्टि का प्रभाव पड़ना</ref> लगाबे, कोरिला<ref>पुत्रवती; जिसकी गोद में बच्चा हो</ref> बारी॥1॥
लिहारी लिहारी धोतिया, पिन्हें हो रामू रैया।
देखो रे कोई लजर चढ़ाबे, कोरिला बारी॥2॥
लिहारी लिहारी कामीज<ref>कमीज</ref>, पिन्हें हो रामू रैया।
देखो रे कोई लजर लगाबे, कोरिला बारी॥3॥
लिहारी लिहारी जुत्ता, पिन्हें हो रामू रैया।
देखो रे कोई लजर चढ़ाबे, कोरिला बारी॥4॥

शब्दार्थ
<references/>