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लीजिए हैं सुनाते ग़ज़ल आपको / पल्लवी मिश्रा

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लीजिए हैं सुनाते ग़ज़ल आपको,
याद करते हैं हर एक पल आपको।

फिर न कहियेगा हमने पूछा नहीं,
नाम लेकर पुकारा था कल आपको।

पूछ लेते पलटकर कभी हाल मेरा,
इतनी फुरसत कहाँ आजकल आपको?

अपना छोटा नशेमन ही हमको अजीज,
हो मुबारक ऊँचे महल आपको।

जब भी मिलते हैं नश्तर चुभोते हैं क्यों?
रास आती नहीं क्या वस्ल आपको?

बेरूखी इस कदर ही जो बढ़ती गई,
दिल से कर देंगे हम बेदखल आपको।

मुश्किलों से भरी हैं उल्फत ही राहें,
हरदम चलना पड़ेगा संभल आपको।