लुई ब्रेल जी नमन आपको / पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'
लुई ब्रेल जी नमन आपको, सौ-सौ बार हमारा है।
ब्रेल लिपि निर्माता सुंदर, ज्ञान प्रकाश पसारा है॥
पांच वर्ष की अल्प आयु में, आँखें ज्योति विहीन हुई।
दामन थाम चले आशा का, इच्छा नहीं मलीन हुई।
पंथ प्रदर्शक आप बने जो, हार नहीं स्वीकारा है।
लुई ब्रेल जी नमन आपको, सौ-सौ बार हमारा है॥
छः डॉटों में तुमने जग का, ज्ञान रखा सारा भरकर।
जिसके जरिए पढ़ते-लिखते, बिन आंखों के छू-छूकर।
ऐसी नौका तुमने दे दी, जिससे मिले किनारा है।
लुई ब्रेल जी नमन आपको, सौ-सौ बार हमारा है॥
जीवन उपवन जैसा महके, शिक्षा मधुऋतु आने से।
गुंजित होता मनमोहक भी, वातावरण तराने से।
नहीं कभी हम भूल सकेंगे, ऐसा कार्य तुम्हारा है।
लुई ब्रेल जी नमन आपको, सौ-सौ बार हमारा है॥
युगों-युगों तक नाम तुम्हारा, दुनिया लेती जाएगी।
तेरे संकल्पों के आगे, अपना शीश झुकाएगी।
अवसर प्यारा जन्म दिवस का, पुलकित हृदय हमारा है।
लुई ब्रेल जी नमन आपको, सौ-सौ बार हमारा है॥