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लुका-छिपी का खेल / कन्हैयालाल मत्त
Kavita Kosh से
आँख-मिचौनी, कड़ुआ तेल !
लुका-छिपी का खेलें खेल !
चलो किसी को ’टूम’ बनाएँ,
आँखें मीचें, ख़ूब छकाएँ,
फिर सब इर्द-गिर्द छिप जाएँ
दौड़ लगाएँ रेलमपेल !
लुका-छिपी का खेलें खेल !
अगर हाथ कोई आ जाए,
अगला ’टूम’ वही बन जाए,
पकड़-धकड़ का डौल लगाए,
तभी सकेगा झटका झेल !
लुका-छिपी का खेलें खेल !