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लुक्खी / दिनेश बाबा
Kavita Kosh से
एक गिलहरी फुदुक-फुदुक
फल कुतरै छै खुदुक-खुदुक
सुन्दर पूँछ उठैने दौड़ै
बोलै छै की बुदुक-बुदुक
चीखै आ चिचियाबै छै
केकरा पास बोलाबै छै
पीठी पर होकरो धारी
तेज दाँत रो छै आरी
लुक-लुक-लुक ताकै लुक्खी
फल तोड़ी चाखै लुक्खी
पास कभूं नै आबै छै
नै कभियो पकड़ाबै छै