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लुगाई : दो / सांवर दइया
Kavita Kosh से
थारै होठां खातर कोनी
बतळावणो-मुळकणो-हंसणो
थारै नैणा खातर कोनी
काजळ री तीखी धार
थारै डील खातर कोनी
रातै गाभां रो सुख
थारी जीभ खातर कोनी
ताती रोटी रो स्वाद
तीज तिंवार
एढ़ा-टांकड़ा
आडै दिन-सा आवै अर जावै
सांस रै सागै
ऊमर रा दिन ओछा करै तूं
बण पाखण-पूतळी !