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लुटी जिंदगी की हैं खुशियाँ रंजो ग़म की दुनियाँ पायी / रंजना वर्मा

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लुटी जिंदगी की हैं खुशियाँ रंजो ग़म की दुनियाँ पायी
मुझे दर्द दे कर अपने मुझ से ले लो मेरी तनहाई
 
बिना तुम्हारे बैरन साँसें कहा न मानें आयें जायें
क़तरा क़तरा बना समन्दर लम्हा लम्हा पहर अढ़ाई

दिया दर्द है जो तुमने वो है रग रग में भिनता जाता
तिरी मोहब्बत रफ़्ता रफ़्ता लेती है दिल में अंगड़ाई

लगी हमें थी दुनियाँ जन्नत जब तक थे तुम पास हमारे
गये छोड़ कर जब तुम हमको हम ने सारी खुशी गंवाई
 
दुखी हृदय से देखा करते कितने रंग बिरंगे सपने
मिली पीर इतनी आँखों को सपने देने लगे दुहाई

रहे जिंदगी मोड़ कई मोड़ों पर नयी नयी हैं राहें
हमें भा गयीं खुशियाँ लेकिन उन्हें हमारी राह न भायी

रहे हमेशा तारीकी में कभी शिकायत की क्या बोलो
भरी उजालों से टोकरियाँ हम ने तेरे लिये मंगाई