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लुटेरा / रघुवीर सहाय
Kavita Kosh से
कैसे उत्साह से
अपनी उन्नति की
ख़बर वह बताता है
बोलते बोलते
जैसे कि देश की
दरकी हुई धरती पर
कूदता कूदता
उससे कहीं बाहर
जान लेकर भाग जाता हो