भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लुसिंडा के लिए एक प्रेम गीत / लैंग्स्टन ह्यूज़
Kavita Kosh से
|
प्रेम एक पका हुआ फल है
एक बैंजनी पेड़ पर उगा हुआ
उसे एक बार चखो
और फिर शुरू होगा
इसके सम्मोहन का जो सिलसिला
तुम्हें जीने नहीं देगा
प्रेम एक रौशन सितारा है
सुदूर दक्षिण के आकाश में चमकता हुआ
इसे सम्हल कर देखो
इसकी धधकती ज्वाला
तुम्हें अंधा बना सकती है
प्रेम एक ऊँचा पहाड़ है
आँधियों में सख़्ती से खड़ा हुआ
बहुत ऊँचा मत चढ़ना
कहीं तुम्हारा दम न उखड़ जाए
मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय