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लेखकों के हाथ का हथियार है कलम / उर्मिल सत्यभूषण

लेखकों के हाथ का हथियार है कलम
और लड़ने के लिये तैयार है कलम

समय की माँग जानती, उसे पहचानती
फूल बरसाती, कभी अंगार है कलम

शक्तिरूप धारती, संहारती हुई
सरस्वती के रूप में साकार है कलम

असि की तीखी धार से, बिजली की चाल से
कर रही जुल्मोसितम पर वार है कलम

लोलुपों के शीश की पगड़ी उतारती
शोषितों को मान का उपहार है कलम

चालों की खबरें रख रहीं, पर्दे उघाड़ती
हर समय दरबार की दरकार है कलम

मिट न सकता देश उर्मिल जिसकी चौकसी
कर रहे अदीब, पहरेदार है कलम।