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लेहु हजमा सुबरन कसैलिया / मगही
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मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
लेहु<ref>लो</ref> हजमा सुबरन कसैलिया<ref>सोने की सुपारी</ref> नेवतियो<ref>निमंत्रण दे आओ</ref> लावऽ चारो धाम हे।
गया से नेवतिहऽ<ref>निमंत्रण दे आओ</ref> गजाधर<ref>गजाधर भगवान</ref> नेवतिहऽ, नेवतिहऽ बीर हनुमान हे।
गंगा में नेवतिहऽ गंगा मइया नेवतिहऽ, नेवतिहऽ सीरी जगरनाथ<ref>जगन्नाथ</ref> हे।
धरती से नेवतिहऽ सेसरनाथ<ref>शेषनाग</ref> हे॥1॥
गाा से अयलन<ref>आये</ref> गजाधर अयलन, अयलन सीरी जगरनाथ हे।
गंगा से गंगा मइया अयलन, अयलन बीर हनुमान हे।
धरती से अयलन सेसरनाथ हे॥2॥
शब्दार्थ
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