भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ले तो आये हो हमें सपनों की गाँव में / रविन्द्र जैन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ले तो आये हो हमें सपनों की गाँव में
प्यार की छाँव में बिठाये रखना
सजना ओ सजना ...

तुमने छुआ तो तार बज उठे मन के
तुम जैसा चाहो रहे वैसे ही बन के
तुम से शुरू, तुम्हीं पे कहानी खत्म करे
दूजा न आये कोई नैनो के गाँव में
ले तो आये हो हमें ...

छोटा सा घर हो अपना, प्यारा सा जग हो
कोई किसी से पल भर न अलग हो
इसके सिवा अब दूजी कोई चाह नहीं
हँसते रहे हम दोनों फूलों के गाँव में
ले तो आये हो हमें...