ले लो प्यारे फूल हमारे जरा लिहाज नहीं कीजै।
केवड़ा जूही कुसुम मालती चंपा के रस ले लीजै।
सुन्दर आब गुलाब सुहावन गेंदा गमक रही प्यारे।
कमलन के दल कली खिली है अजब चमेली है प्यारे।
सूर्यमुखी कचनार करौंदा कटहल केला कौन गिने।
काँचे कली अनार खिली है मन चाहत है कोने किने।
नित-नित अइहों पुष्प ले जइहें कुछ इनाम का काम नहीं।
हम तो प्रेमी के भूखे परदेशी से दाम नहीं।
रही जान पहचान बराबर यही लोभ मन में छाई।
कतहीं तो फेर भेंट हो जइहें बार-बार मन हरसाई।