Last modified on 21 फ़रवरी 2010, at 23:28

लैला मजनू / हिचकियाँ आ रही हैं तारों को

रचनाकार: ??                 

लैला मजनू 1953??

हिचकियाँ आ रही हैं तारों को, चांद बदली में छुपके रोता है
मेरे पहलू में क्यों ख़ुदा जाने, मीठा-मीठा-सा दर्द होता है

ओ जाने वाले राही! मुझ को न भूल जाना

महफ़िल को ज़रा रोको, सुन लो मेरा फ़साना

नौशाद हो गया हूँ, बरबाद हो गया हूँ
शादी तुम्हें मुबारक, मुझे उजड़ा आशियाना
तुम दूर जा रही हो, मज़बूर जा रही हो

मेरी कसम है तुमको, आँसू न तुम बहाना