लै बैठ मिशन की रेल मैं / करतार सिंह कैत
लै बैठ मिशन की रेल मैं जे दिल्ली जाणा चाह्वै
दिल्ली जाणा चाहवै और राज बनाणा चाह्वै...टेक
बाबा साहब नै सोच-समझ कै गाड़ी का कर्या आविष्कार
एस.सी. बी.सी. एस.टी.
मिशन का ईंजन लगा रेल म्हं मिशन गेल बढ़ती रफ्तार
गये बाबा जी स्वर्ग सिधार रेल नै आगै कौण चलावै
आ बैठ मिशन...
लदी मिशन की रेल खड़ी थी जा कांशीराम नै खोल्या गेट
सभी मानदंडों का काढ़ नतीजा बड़गे भीतर करकै ढेठ
कर्या निरीक्षण गाड़ी मैं फेर होणा चाहिए नीला पेंट
ले मिशन बुर्श गये लाग आप रंग नीला चढ़ता जावै
आ बैठ मिशन...
खटक लगी उस कांशी राम कै नौकरी को दिया विराम
ऐसा पक्का प्रण कर्या ना ब्याह करवाऊं उमर तमाम
कोठी बंगला पैसा धेला इंच भूमि ना हो मेरे नाम
करूं नतमस्तक प्रणाम इसे महापुरुष कड़ै तै पावै
आ बैठ मिशन...
भीम मिशन का लेकै आसरा चाल पड़े थे काशी राम
सारा भारत छाण दिया शहर नगर ना छोड़े गाम
गोड्यां तक सोजिश चढ़गी थी फेर भी कोन्या कर्या आराम
थारे भले की खातिर और के पाड़ कै पेट दिखावै
आ बैठ मिशन...
एकता की पटड़ी रेल मिशन की टेशन ऊपर खड़ी त्यार
भीम मिशन का टिकट कटा ले क्यूं कर रहा मूर्ख वार
चढ़ कै बटन दबा हाथी का तनै ले छोड़ै दिल्ली दरबार
होर्या टेम चलण का बावले मतना धोखा खावै
आ बैठ मिशन...
मुंह बाणे का क्या फायदा हो ऐसी बात सुणानी चाहिए
भीम मिशन को ध्यान मैं रखकै फेर प्रजा समझाणी चाहिए
सुण कै जुड़ैं बी.एस.पी. के म्हां इसी रागणी गानी चाहिए
यू कोकतिया करतार कैत सदा गीत मिशन के गावै
आ बैठ मिशन...