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लोकतंत्र के मसीहा / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
राज बदलता है
पर तंत्र - मंत्र नहीं बदलता
फिर राज किसी का हो,
क्या फर्क पड़ता है ?
फर्क पड़ता है
सिर्फ उस व्यापार पर
जिससे चंदा आता है
उगाये जाते है
नये स्रोत
हे लोकतन्त्र के नये मसीहाओं !
बस इतना बता दों,
तन्त्र लोक के
तान्त्रिक तुम
यह अनुष्ठान,
कब तक चलेगा ?