रामलाल !
तूं गाय जैसा आदमी है
इस लिए
घास खा !
वे बेचारे
शेर जैसे आदमी हैं
मांस खाएंगे
तेरा !
देखना !
भूखा न सोए
लोकतंत्र में ।
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"
रामलाल !
तूं गाय जैसा आदमी है
इस लिए
घास खा !
वे बेचारे
शेर जैसे आदमी हैं
मांस खाएंगे
तेरा !
देखना !
भूखा न सोए
लोकतंत्र में ।
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"