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लोकतंत्र / शैलेन्द्र चौहान
Kavita Kosh से
चीत्कार ! हाहाकार !
भयातुर आँखें !
- सिसकती सभ्यता
- संस्कृति है कराहती
- प्रसन्न और संतुष्ट हैं
- चिकने धूर्त राजनयिक
- तुंदियल, भ्रष्ट,
- व्याभिचारी राजनेता
इसीलिए
लोकतंत्र स्वस्थ है ?