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लोकराज / मोहम्मद सद्दीक
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लोकराज
तूं गाज्यो घणो
पण बरस्यो कोनी
जद-कद बरसी लाय बरसी
ओळा बरस्या
रोळा बरस्या
अणगिणती रा बोळा बरस्या।
लाम्बै-लाम्बै हाथां में
लाम्बै-लाम्बै बांसां पर
झांसा छरड़ा बांध‘र
ऊंचै स्यूं ऊंचै किनखै नै
ऊपर को ऊपर ही
किणियां में उळझाणियां
ओछै मोछै
बावनिये बचकानियै रै
तो तणी हाी हाथ को आण दीनी
बागां रा फूल फुसका बणग्या
काची कूंपळ, अधखिली कळी
कोई तरसै पात नै अर कोई तरसै फूल नैै।