भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लोक मारेन्दे ताने / बुल्ले शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इशक असाँ नाल केही कीत्ती, लोक मारेन्दे ताने।
दिल दी वेदन<ref>पीड़ा</ref> कोई ना जाणे,
अन्दर देस बगाने।
जिस नूँ चाट<ref>लगन</ref> अमर<ref>परमात्मा जोकि अटल है</ref> दी होवे,
सोई अमर पछाणे।
ऐस इशक दी औक्खी घाटी,
जो चढ़ेआ सो जाणें।
इशक असाँ नाल केही कीत्ती, लोक मारेन्दे ताने।

आतश<ref>आग</ref> इशक फराक<ref>बिछोड़ा</ref> तेरे दी,
पल विच्च साड़ विखाइआँ।
ऐस इशक दे साड़े कोलों,
जग्ग विच्च देआँ दुहाइआँ।
जिस तन लागे सो तन जाणे,
दूजा कोई ना जाणे।
इशक असाँ नाल केही कीत्ती, लोक मारेन्दे ताने।

इशक कसाई ने जेही कीत्ती,
रैह गई खबर ना काई।
इशक चवाती<ref>आग लगानी</ref> लाई छाती,
फेर ना झाती पाई।
मापिआँ कोलों छुप-छुप रोवाँ,
कर कर लक्ख बहाने।
इशक असाँ नाल केही कीत्ती, लोक मारेन्दे ताने।

हिजर तेरे ने झल्ली करके,
कमली नाम धराया।
सुमुन बुकमनु<ref>चुप-चाप, गूँगा-बहिरा</ref> व उमयुन<ref>अनपढ़</ref> हो के,
आपणा वक्त लंघाया।
कर हुण नज़र करम दी साइआँ,
ना कर ज़ोर धडाने।
इशक असाँ नाल केही कीत्ती, लोक मारेन्दे ताने।

हस्स बुलावा तेरी जानी,
याद कराँ हर वेले।
पल पल दे विच्च दरद जुदाई,
तेरा शाम सवेले।
रो रो याद कराँ दिन रातीं,
पिछले वक्त विहाणे।
इशक असाँ नाल केही कीत्ती, लोक मारेन्दे ताने।

इशक तेरा दरकार असाँ नूँ,
हर वेले हर हीले।
पाक रसूल<ref>परमात्मा द्वारा भेजा हुआ पैगम्बर</ref> मुहम्मद साहिब,
मेरे खास वसीले।
बुल्ले शाह जो मिले प्यारा,
लक्ख कराँ शुकराने।
इशक असाँ नाल केही कीत्ती, लोक मारेन्दे ताने।

शब्दार्थ
<references/>