भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लोगों को बताता हूँ मैं आवाज़ की ताकत / श्याम कश्यप बेचैन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लोगों को बताता हूँ मैं आवाज़ की ताकत
शायर हूँ मेरे पास है अल्फ़ाज़ की ताक़त

कब तक बना रहेगा कोई आज की ताक़त
इक दिन तो रंग लाएगी नाराज़ की ताक़त

क्या ख़ाक काम आएगी जाँबाज़ की ताक़त
बुज़दिल भी है लिए नए अंदाज़ की ताक़त

उड़ता हूँ ख़यालों को लिए आसमान में
पर हैं नहीं, पर है अभी परवाज़ की ताकत

बेकार लड़ रहा है, अरे हार जाएगा
है पास में उसके, तेरे हमराज़ की ताक़त

अपने ही भाईयों पे झपटने लगेगा वो
चूजे़ को मिल ना जाए कहीं बाज की ताक़त