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लोग कहते बदन से खाल तक / सर्वत एम जमाल

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लोग कहते बदन से खाल तक
जबकि बिकते हैं यहाँ कंकाल तक

अब शिकारी की ख़ुशी मत पूछिए
कुछ परिंदे आ गए हैं जाल तक

है सभी कुछ आदमी के हाथ में
बाढ़, सूखा, आंधियाँ,भूचाल तक

गाँव में वर्दी का मतलब और है
जंगलों का राज है चौपाल तक

हमने देखे हैं हज़ारों अक्लमंद
हर किसी की सोच रोटी-दाल तक

एक थोड़ी सी तरावट जब मिली
तुम बदल देते हो अपनी चाल तक

जान दे देता है सर्वत आदमी
आन की ख़ातिर यहाँ कंगाल तक